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Wednesday, November 27, 2024
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बलिया: पत्रकार रनत सिंह हत्याकांड में नया मोड़, मृतक के पिता ने पुलिस की कहानी को बताया झूठा

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बलिया। पत्रकार रतन सिंह की हत्या के बाद प्रदेश सरकार पर हो रहे हमले के बीच में रतन सिंह के पिता विनोद सिंह ने पुलिस की कहानी को झूठा बताया है। उनका कहना है कि उनके पुत्र रतन सिंह की हत्या आपसी विवाद में नही हुई है।पत्रकार हत्याकांड पर रतन सिंह के पिता विनोद सिंह ने कहा कि बलिया पुलिस इस मामले में झूठ बोल रही है। यहां से उच्च अधिकारियों को गुमराह किया जा रहा है। हमारे घर से सिर्फ पांच सौ मीटर की दूरी पर फेफना थाना होने के बाद भी रतन सिंह को घेर कर मारा गया। पुलिस तो पुआल तथा भूसी की झूठी कहानी बता रही है। आबादी की जमीन का कोई विवाद ही नहीं है।

उन्होंने कहा है कि थानाध्यक्ष शशिमौली ने आरोपियों के साथ मिलकर उनके बेटे की हत्या करवाई है। दिवंगत पत्रकार के भाई ने भी यह आरोप लगाया है कि थानाध्यक्ष शशिमौली वहां पर जाकर भाग गए थे। रतन सिंह के पिता विनोद सिंह ने पुलिस की उस थ्योरी को झूठा करार दिया जिसमें कहा जा रहा था कि यह आपसी विवाद में हत्या हुई है। आईजी ने बताया था कि जमीनी विवाद में एक पक्ष ने भूसा रखा था तो दूसरे पक्ष ने उसी जमीन पर पुवाल लाकर रख दिया। इसी विवाद के बाद गोली चली और पत्रकार रतन सिंह की मौत हो गई।

पिता विनोद सिंह ने दावा किया है कि जिस जमीन के बारे में पुलिस बता रही है वहां जाकर कोई भी देख लें कि पुवाल और भूसा रखा गया है या नहीं। उन्होंने कहा पुलिस पूरी तरह से झूठ बोल रही है। विनोद सिंह का कहना है कि यह आपसी रंजिश में हत्या नहीं है। मामले की सही जांच होनी चाहिए। उन्होंने स्थानीय पुलिस पर कई आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि लोकल पुलिस बड़े अधिकारियों को सही जानकारी नहीं दे रही है।गौरतलब है कि सोमवार रात करीब नौ बजे पत्रकार रतन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने रतन को दौड़ाकर गोली मारी और वारदात को अंजाम देने के बाद भाग निकले। पत्रकार रतन सिंह सोमवार को जिला मुख्यालय बलिया में रहने के बाद शाम को अपने गांव चले गए। शाम को गांव में ही किसी के यहां बैठने के बाद पैदल ही वापस घर जा रहे थे। तभी घर कुछ लोगों ने उनपर फायर झोंक दिया।

ग्रामीणों के अनुसार जान बचाने के लिए रतन ग्राम प्रधान में घर में घुस गए लेकिन हमलावरों ने पीछा नहीं छोड़ा और एक-एक कर तीन गोलियां दाग दी। इससे रतन की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल मंगलवार की सुबह जिला अस्पताल पहुंचे तो पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। मुख्यमंत्री की ओर से दस लाख की सहायता राशि को नाकाफी बताते हुए 50 लाख देने और पत्नी को नौकरी की मांग की। मंत्री ने मांग को जायज बताते हुए भरोसा दिया कि इस सम्बंध में मुख्यमंत्री से बात कर हरसम्भव मदद दिलाएंगे।

जिस समय मंत्री आनंद शुक्ल पत्रकारों से बात कर रहे थे, उसी वक्त रतन सिंह के दो परिजन रोते हुए स्थानीय पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाने लगे। उन्होंने पैसा लेकर आरोपितों को संरक्षण देने का आरोप पुलिस पर लगाया। मंत्री ने जांच कराने का भरोसा दिया। राज्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि रतन सिंह की हत्या से हम सभी दुखी हैं।

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