हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है बल्कि मांसपेशियों को भी कमज़ोर कर देता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं। इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है।बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं साओल हार्ट सेंटर के निदेशक डॉक्टर बिमल छाजेड़ ने बताया कि सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोज़ के रूप में मांसपेशियों तक पहुंचता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है। अतिरिक्त कैलोरी वसा यानी कि फैट के रूप में जमा होता रहता है। ऐसे में ग्लूकोस के स्तर को संतुलित रखने के लिए इंसुलिन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है। जमा हुआ अतिरिक्त फैट शरीर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) की कार्यप्रणाली को बिगाड़ता है। चूंकि, इस स्थिति में मांसपेशियां ग्लूकेगन को सोखने में असमर्थ हो जाती है, जिससे इंसुलिन और अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है।
डॉ बिमल छाजेड़ ने आगे बताया जब किसी व्यक्ति में ब्लॉकेज का स्तर 50% से ऊपर चला जाता है तो उस स्थिति में उसे कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है। ऐसे मरीजों को हार्ट अटैक से पहले नहीं पता चलता है कि उन्हें ब्लॉकेज की समस्या है क्योंकि 70% से कम ब्लॉकेज में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी की मदद से इस ब्लॉकेज का आसानी से पता चल जाता है। लेकिन 70-80% ब्लॉकेज होने पर एंजिना की समस्या हो सकती है, जिसे टीएमटी (एक्सरसाइज़ स्ट्रेस टेस्ट) या सीटी एंजियोग्राफी की मदद से पहचाना जा सकता है। यदि ब्लॉकेज की पहचान हार्ट अटैक से पहले हो जाती है, तो ब्लॉकेज को साफ करके हार्ट अटैक की रोकथाम संभव है।
डाइटिंग और एक्सरसाइज़ की मदद से वजन कम करके हृदय रोगों के जोखिम से बचा जा सकता है। इसके साथ हर दिन कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज़ करना जरूरी होता है.
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का तेल होता है, जो धमनियों को ब्लॉक करके विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों का कारण बनता है। इसका यह अर्थ है कि हम हर रोज चाहे कितना भी कम तेल वाला खाना खाते हों, लॉग रन के हिसाब से हम खुद को एक बड़ी मुश्किल में डाल रहे हैं। हालांकि, लेकिन क्या किसी को पता है कि बिना तेल के इस्तेमाल के भी खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है?हमने 1000 से भी ज्यादा रेसिपी तैयारी की हैं जो न सिर्फ बिना तेल के बनाई जा सकती हैं बल्कि उनमें स्वाद की भी कोई कमी नहीं है। हमारे शरीर को जितनी मात्रा में वसा की जरूरत होती है, वह चावल, सब्जियां, फल, गेंहू और दाल आदि से पूरी हो जाती है।
वहीं बादाम, काजू, अखरोट और पिस्ता आदि जैसे सूखे मेवों में 50% से भी ज्यादा तेल पाया जाता है। नारियल और मूंगफली में लगभग 40% तेल पाया जाता है। इसलिए दिल के मरीजों को हर प्रकार के नट्स से दूर रहना चाहिए। किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खजूर और खुबानी में बिल्कुल तेल नहीं होता है, इसलिए यदि दिल के मरीज को शुगर की समस्या नहीं है तो वे इन्हें खा सकते हैं।