कोविड -19 हेल्पलाइन-सह-कंट्रोल रूम बिहार के प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए 24×7 सक्रिय

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कोरोना वायरस (कोविड -19) के फैलते संक्रमण के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के ठीक बाद बिहार सरकार ने बिहार के प्रवासी श्रमिकों के लिए बिहार भवन, नई दिल्ली में हेल्पलाइन-सह-कंट्रोल रूम स्थापित करने का त्वरित निर्णय लिया। इसके अनुपालन में बिहार के स्थानिक आयुक्त श्री विपिन कुमार के नेतृत्व में 25 मार्च को बिहार भवन में जनोन्मुखी हेल्पलाइन-सह-कंट्रोल रूम शुरू किया गया। नियंत्रण कक्ष का उद्देश्य बिहार के लाखों प्रवासी श्रमिकों की सहायता करना है जो लॉकडाउन के कारण भारत के विभिन्न हिस्सों में फँसे हुए हैं। तीन हेल्पलाइन नंबर (011-23792009, 011-23014326, 011-23013884) के साथ दस हंटिंग लाइनें भी स्थापित की गई है। बिहार भवन ने फँसे हुए प्रवासी श्रमिकों को अपनी सूचनाओं को ऑनलाइन दाख़िल करने के लिए गूगल डॉक फॉर्म सेवा की भी शुरुआत की है। श्री विपिन कुमार, स्थानिक आयुक्त, बिहार के नेतृत्व में युवा अधिकारियों की एक टीम में प्राप्त अनुरोधों पर तत्समय कार्रवाई करते हुए प्रवासियों की सहायता में जुटी है।

प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए 60 (साठ) कर्मचारियों को 03 (तीन) शिफ्टों में हेल्पलाइन में नियुक्त किया गया है। यहाँ सामाजिक दूरी (सोशल डिसटेंसिंग) और स्वच्छता के सरकारी मानकों का पूर्णतः पालन किया जा रहा है। बिहार भवन के अधिकारियों के समन्वय से संबंधित राज्यों के स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रवासियों को भोजन, आवासन व चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। बिहार भवन द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से वित्तीय सहायता की सुविधा प्राप्त करने के लिए भी सहायता की जा रही है।

हेल्पलाइन नंबर की मदद से उन ज़रूरतमंद प्रवासियों तक पहुँचा जा रहा है जिन्हें भोजन, आवासन और चिकित्सा की सख़्त जरूरत है। बिहार भवन में तमिलनाडु, महाराष्ट्र राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों के विभिन्न जिलों में फँसे प्रवासियों के फोन आते हैं।

बिहार भवन के अधिकारियों द्वारा सम्बंधित राज्यों के जिला अधिकारी, पुलिस प्रशासन, स्थानिक आयुक्त एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय से तत्काल कार्रवाई की जाती है। कई बार हेल्पलाइन के अधिकारियों को कुछ अलग तरह के अनुरोध का सामना पड़ता है। इनमें सबसे अधिक अनुरोध अपने मूल स्थान पर वापस जाने के इच्छुक प्रवासियों का होता है। अधिकारी उन्हें कोविड -19 को हराने के लिए सरकार के निर्देश का अनुपालन करने की सलाह देते हैं।

बिहार भवन द्वारा पूरी संवेदनशीलता से सभी कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है। स्थानिक आयुक्त के कार्यालय द्वारा प्रवासियों को उनके परिवार में किसी के निधन जैसी अप्रत्याशित व दुःखद स्थितियों में लोगों को अपने पैतृक स्थान तक पहुँचाने में मदद किया गया है। बीते दिनों में अन्य राज्यों में फँसे बिहार की गर्भवती महिलाओं के कई मामले सामने हैं जिन्हें बिहार भवन के अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन अधिकारियों के साथ समन्वय के बाद तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई है।

पूर्व में कुछ अन्य अप्रत्याशित मामलों में भी बिहार भवन ने प्रतिबद्धता से प्रवासियों की सहायता की है।

बिहार के पूर्णिया स्थित रघुनाथपुर के निवासी श्री नीरज ठाकुर, जो दिल्ली में कार्यरत हैं, की माताजी का देहांत दिनांक 29.03.2020 को हो गया था। बेटे नीरज ठाकुर ने दिल्ली के बिहार भवन जाकर स्थानिक आयुक्त से संपर्क किया ताकि लॉकडाउन इस घड़ी में वो घर जाकर अपनी माँ के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। बिना किसी विलंब के स्थानिक आयुक्त ने त्वरित पास जारी करते हुए उन्हें और उनके पूरे परिवार को बिहार भेजने की व्यवस्था की।

वहीं, बिहार के किशनगंज ज़िले के निवासी श्री अनवर आलम ने भी बिहार भवन को पत्र लिख कर सूचित किया था कि उनके वालिद का इंतकाल हो गया है और उन्हें घर जाना है। इक्कीस वर्षीय श्री अनवर आलम उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में नौकरी करते थे। स्थानिक आयुक्त श्री विपिन कुमार द्वारा बिहार भवन द्वारा श्री आलम को दिनांक 28 मार्च, 2020 को दिल्ली से किशनगंज भेजा गया।

बेंगलुरु के टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टीसीऍस) में इंजीनियर के पद पर कार्यरत सुश्री अपूर्वा दास, जो बिहार के दरभंगा ज़िले की निवासी हैं, के पिता का निधन दिनांक 07.04.2020 को चेन्नई में हो गया था। आनन-फ़ानन में उन्हें चेन्नई जाना था। उन्होंने बिहार भवन से यात्रा की गुहार लगाई और स्थानिक आयुक्त ने बेंगलुरु पुलिस के समन्वय से सुश्री अपूर्वा को पास जारी कराया गया ताकि वो चेन्नई पहुँच सकें। सुश्री अपूर्वा सकुशल चेन्नई पहुँच गईं हैं।

इसी बीच चेन्नई के अनंबक्कम से सूचना प्राप्त हुई कि एक गर्भवती महिला लॉकडाउन के कारण डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज कराने में असमर्थ हैं। उनके पति श्री पंच नारायण, लोधीपुर, शेखपुरा (बिहार) के निवासी, ने बिहार भवन को इस घटना से अवगत कराया और स्थानिक आयुक्त की कार्यकुशलता व संवेदनशीलता से महिला को अति-आवश्यक चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई गई।

बिहार भवन में अब तक 22,000 से अधिक कॉल, लगभग 19,800 गूगल फ़ॉर्म और 2,700 से अधिक व्हाट्सएप संदेश एवं पत्र प्राप्त हुए हैं। इनमें बिहार के 9 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक शामिल हैं।

स्थानिक आयुक्त श्री कुमार प्रतिदिन अनेक बार मोबाइल पर प्रवासियों से बातचीत कर उनसे हाल-चाल पूछते हैं, उनको प्राप्त सुविधाओं के बारे में जायज़ा लेते हैं एवम यदि कोई परेशानी हो तो तुरंत उसका समाधान भी करते हैं। बिहार भवन के अनुरोध पर विभिन्न राज्यों के स्थानीय अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराये गए सहायता के बारे में जानकारी के लिए बिहार भवन में एक प्रतिक्रिया (फ़ीडबैक) तंत्र भी स्थापित किया गया है। अब तक देश भर से बिहार के 90,000 से अधिक प्रवासियों द्वारा बिहार भवन में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई है।

स्थानिक आयुक्त श्री कुमार को बिहार भवन के समन्वय कार्य से सहायता प्राप्त प्रवासियों द्वारा नियमित रूप से व्हाट्सएप संदेश एवं वीडियो भेजा जा रहा है।