लॉकडाउन में फँसे बिहार के निवासियों की सहायता के लिए बिहार भवन तत्पर, कश्मीर से कन्याकुमारी तक सहायता पहुँचाई जा रही है

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कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के पश्चात बिहार सरकार राज्य से बाहर फँसे प्रवासियों की हर संभव मदद कर रही है। दिल्ली स्थित बिहार भवन के कंट्रोल रूम से अब तक लाखों प्रवासियों की सहायता की जा चुकी है। भारत के विभिन्न राज्यों के पदाधिकारियों से समन्वय करते हुए बिहार के निवासियों तक भोजन, आवासन एवं चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसी क्रम में दिल्ली व अन्य राज्यों में फँसे कई प्रवासियों को विषम परिस्थितिवस विभिन्न कारणों की वजह से बिहार भेजने का इंतज़ाम भी किया गया। स्थानिक आयुक्त, बिहार भवन के आफिस ने चुनौती भरे इस समय में मानवीय आधार पर संवेदनशीलता का परिचय देते हुए लोगों को अपने-अपने घर भेजा है।

बिहार के पूर्णिया स्थित रघुनाथपुर के निवासी श्री नीरज ठाकुर, जो दिल्ली में कार्यरत हैं, की माताजी का देहांत दिनांक 29.03.2020 को हो गया था। बेटे नीरज ठाकुर ने दिल्ली के बिहार भवन जाकर स्थानिक आयुक्त से संपर्क किया ताकि लॉकडाउन इस घड़ी में वो घर जाकर अपनी माँ के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। बिना किसी विलंब के स्थानिक आयुक्त ने त्वरित पास जारी करते हुए उन्हें और उनके पूरे परिवार को बिहार भेजने की व्यवस्था की।

वहीं, बिहार के किशनगंज ज़िले के निवासी श्री अनवर आलम ने भी बिहार भवन को पत्र लिख कर सूचित किया था कि उनके वालिद का इंतकाल हो गया है और उन्हें घर जाना है। इक्कीस वर्षीय श्री अनवर आलम उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में नौकरी करते थे। स्थानिक आयुक्त श्री विपिन कुमार द्वारा बिहार भवन द्वारा श्री आलम को दिनांक 28 मार्च, 2020 को दिल्ली से किशनगंज भेजा गया।

बेंगलुरु के टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टीसीऍस) में इंजीनियर के पद पर कार्यरत सुश्री अपूर्वा दास, जो बिहार के दरभंगा ज़िले की निवासी हैं, के पिता का निधन दिनांक 07.04.2020 को चेन्नई में हो गया था। आनन-फ़ानन में उन्हें चेन्नई जाना था। उन्होंने बिहार भवन से यात्रा की गुहार लगाई और स्थानिक आयुक्त ने बेंगलुरु पुलिस के समन्वय से सुश्री अपूर्वा को पास जारी कराया गया ताकि वो चेन्नई पहुँच सकें। सुश्री अपूर्वा सकुशल चेन्नई पहुँच गईं हैं।

इसी बीच चेन्नई के अनंबक्कम से सूचना प्राप्त हुई कि एक गर्भवती महिला लॉकडाउन के कारण डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज कराने में असमर्थ हैं। उनके पति श्री पंच नारायण, लोधीपुर, शेखपुरा (बिहार) के निवासी, ने बिहार भवन को इस घटना से अवगत कराया और स्थानिक आयुक्त की कार्यकुशलता व संवेदनशीलता से महिला को अति-आवश्यक चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई गई।

ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिसमें ऐसी सहायता उपलब्ध कराई गयी है। विदित हो कि बिहार भवन के कंट्रोल रूम से प्रवासियों से निरंतर फ़ीडबैक लिया जा रहा है। अभी तक 40,000 (चालीस हज़ार) से अधिक लोगों से फ़ीडबैक प्राप्त हुआ है। इनमें गुजरात से लगभग 7,000 (सात हज़ार), तमिलनाडु से 6,500 (छः हज़ार पाँच सौ), महाराष्ट्र से 1,500 (एक हज़ार पाँच सौ), दिल्ली-एनसीआर से 5,000 (पाँच हज़ार), आंध्रप्रदेश से 2,000 (दो हज़ार), जम्मू-कश्मीर से 100 (एक सौ), पंजाब-हरियाणा से 400 (चार सौ), राजस्थान से 4,700 (चार हज़ार सात सौ), उत्तर प्रदेश से 850 (आठ सौ पचास) और कर्नाटक से 470 (चार सौ सत्तर) लोगों ने सकारात्मक फ़ीडबैक भेजा है। सभी ने जानकारी दी कि उन्हें प्रतिदिन बुनियादी तौर पर भोजन, आवासन और चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जा रही है।

उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के काशीपुर में बिहार के प्रवासियों के फँसे होने ख़बर पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए बिहार भवन के कंट्रोल रूम की तत्परता से उनतक सहायता पहुँचाई गई। यहाँ बिहार के बक्सर एवं कैमूर के रहने वाले कई लोग फँसे थे।

गया के श्री उपेंद्र पासवान द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर तमिलनाडु में फँसे जमुई व गया ज़िले के आस पास के लगभग 1000 लोगों तक बिहार भवन के कंट्रोल रूम के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन द्वारा सहायता पहुँचाई गई। तमिलनाडु में ही फँसे बिहार के नालंदा ज़िले के निवासी श्री चंदन कुमार व मुकेश कुमार की सूचना के आधार पर 2,000 (दो हज़ार) लोगों के लिए भोजन का इंतज़ाम किया गया। तमिलनाडु में फँसे बक्सर से 200 (दो सौ) और सीतामढ़ी के 150 (डेढ़ सौ) लोगों तक सहायता पहुँचाई गई।

गुजरात के सूरत में फँसे बिहार के औरंगाबाद ज़िले के संतोष जी व 500 अन्य लोगों के लिए बिहार भवन के कंट्रोल रूम के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन द्वारा खाना पहुँचाया गया। राजस्थान में फँसे सुपौल के मक़सूद आलम व 150 अन्य लोगों के लिए भी खाने का प्रबंध किया गया। हैदराबाद में फँसे सुशील ठाकुर व अन्य 10 लोगों के लिए खाने का इंतज़ाम किया गया। गोवा में बिहार के लखीसराय के निवासी कुंदन कुमार व अन्य 50 लोगों के लिए भी खाने-पीने की व्यवस्था की गई। गुजरात के सूरत में फँसे लक्ष्मण महतो की सूचना के आधार पर बिहार के छपरा के 500 लोगों के लिए खाने का प्रबंध किया गया।

आंध्रप्रदेश में फँसे सज्जाद अंसारी से मिली सूचना के बिनाह पर बिहार के समस्तीपुर के 50 लोगों तक बिहार कंट्रोल रूम के अनुरोध पर स्थानीय प्रशासन की मदद से खाना पहुँचाया गया। बिहार के खगड़िया के संजीव कुमार से प्राप्त जानकारी के आधार पर तमिलनाडु में फँसे 250 लोगों तक सहायता पहुँचाई गई। असम के शिवसागर में फँसे बिहार राज्य के 200 (दो सौ) लोगों तक बिहार भवन के कंट्रोल समन्वय से स्थानीय प्रशासन द्वारा सहायता पहुँचाई गई।

ग़ौरतलब है कि बिहार सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए एक ऐप बनाया है जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष द्वारा सीधे पीड़ित के बैंक खाते में 1000 (एक हज़ार) रुपया दिया जा रहा है। अब तक लाखों लोगों तक इससे मदद पहुँचाई जा चुकी है। बिहार भवन, नई दिल्ली, स्थित कंट्रोल रूम द्वारा इस हेतु लगभग 34,000 (चौतीस हज़ार) लोगों तक इस बाबत मैसेज भेजा चुका है। एक व्यक्ति को भेजे वाले एसएमएस से हज़ारों लोग लाभान्वित होते हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए बिहार भवन द्वारा हज़ारों लोगों को सूचित किया चुका है।