ईपीएस-95 पेंशनधारक ने मोदी को लिखा पत्र, कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक दिन की पेंशन करेंगे दान

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ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले ईपीएस-95 पेंशन धारकों ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए अपनी एक दिन की पेंशन को स्वैच्छिक रूप से सरकारी खजाने में जमा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने लिखा, “हालांकि ईपीएस-95 के पेंशन धारकों को बहुत मामूली पेंशन, केवल 200 से 2500 रुपये मासिक मिल रही है, फिर भी वह अपनी एक दिन की पेंशन कोरोना महामारी से उपजे हालात को देखते हुए दान करना चाहते हैं।

ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने लिखा कि ईपीएस राष्ट्रीय संघर्ष समिति 65 लाख ईपीएस-95 पेंशनधारकों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने अपील की कि उनको इस महीने मिलने वाली पेंशन से एक दिन की पेंशन काट ली जाए और उसे कोरोना महामारी की स्थिति को नियंत्रित करने में उपयोग किया जाए। उन्होंने लिखा कि हालांकि यह बहुत छोटी राशि है। लेकिन ईपीएस पेंशन धारकों के योगदान को रामसेतु बनाने के लिए किए गए छोटे-छोटे प्रयासों से जोड़कर स्वीकार किया जाए।

राउत ने लिखा कि ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति ने यह फैसला सर्वसम्मति से किया है कि चाहे यह योगदान भले ही छोटा हो, लेकिन इससे पूरे देश को एक प्रेरणादायक संदेश मिलेगा। एनएसी के सर्वसम्मति से लिए गए इस फैसले से संबंधित यह पत्र प्रधानमंत्री के अलावा माननीय वित्त मंत्री, श्रम मंत्री, सांसद हेमामालिनी के अलावा सीबीटी और सीपीएफसी के सदस्यों को भेजा गया है।

पत्र में लिखा गया है कि जब ईपीएस राष्ट्रीय संघर्ष समिति के सदस्य ईपीएस पेंशन स्कीम से जुड़े मुद्दों जैसे हायर पेंशन, मिनिमम पेंशन, मेडिकल सुविधाओं, छूटे हुए पेंशनधारकों को ईपीएस 95 स्कीम के दायरे में लाने के लिए संघर्ष कर रही है, तब भी उन्होंने देशहित में यह फैसला करने का अधिकार एनएसी के नेताओं को दिया है। इस मुद्दे पर समिति के सभी सदस्यों ने एनएसी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में चर्चा की। सभी की ओर से एक दिन की पेंशन राशि का अंशदान करने का निर्णय एकमत से लिया। समिति ने नम्रता से निवेदन किया है कि यह राशि ईपीएफओ की ओर से हमारी पेंशन से काटकर कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार के खजाने में जमा की जाए। उन्होंने कहा कि यह सवाल धनराशि का नहीं है, बल्कि हम जैसे समाज के ज्येष्ठ और बुजुर्ग पेंशनधारकों की देशप्रेम से जुड़ी भावना का है।