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Sunday, November 24, 2024
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कोलेस्ट्राल में वृद्धि से भी बढ़ जाता है दिल की बीमारियों का खतरा

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नई दिल्ली – 50 वर्षों से भी अधिक समय में आयुविज्ञान के क्षेत्र में इस बात को लेकर अनुसंधान हो रहे थे कि दिल की इलाज करने के लिए ऐसा कुछ उपाय खोजा जाये जिसमें चीड़-फाड़ यानी सर्जरी की जरूरत न पड़े. आखिरकार इस मुहिम में सफलता मिली और दिल की रक्त नलिकाओं को फैलाने का एक सर्जरी रहित तथा बिना किसी तरह के खतरे वाले इलाज की खोज कर ही ली गयी ताकि वे समानान्तर रूप से कार्य कर सकें. जल्दी विश्वास नहीं होता लेकिन आज के लिए ऐसा संभव हो गया है. जब बिना सर्जरी के ही ह्रदय की बाई पास हो जाये और इस दौरान नियमित रूप से जीवन की सामान्य गतिविधियों को जारी रखा जायें, सामाजिक जीवन में किसी तरह का खलल न पड़े और काई भी काम प्रभावित नहीं होने पाये.
दिल का मामला ऐसा है जो तमाम उम्र इंसानी परेशानी का कारण बन जाता है. जवानी की आहट सुनाई देते ही दिल के लेने-देने, टूटने-जुडने का सिलसिला तक जारी रहता है. लेकिन अधेड़ावस्था आयी नहीं कि दिल को लेकर एक नई समस्या सामने आ जाती है. जवानी में गुजारे गये अनियमित जीवन और तमाम दूसरे कारणों से रक्त दबाव बढ़ता है, कोलेस्ट्राल में वृद्धि होती है जिसकी वजह से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. दिल की बीमारियों तथा पक्षाघात का आतंक तो रक्त दबाव को अपने आप बढ़ा देता है. जैसे-जैसे हमारे आस पास प्रदूषण तथा तनाव बढ़ा है वैसे-वैसे दिल की बीमारियों में भी इजाफा होता चला गया है.
सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक डा. एस.एस. सिबिया का कहना है कि सभी दिल के मरीजों के इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं होती है. उनके लिए भी नहीं जिन्हे दिल का दौरा पड़ चुका हो. वास्तव में बाई पास सर्जरी उस स्थिति में कामयाब नहीं हो सकती अगर पर्याप्त मात्रा में समानान्तर प्रवाह नहीं है. लेकिन अब डॉक्टरों के पास एक्सटरनल काउन्टर पलसेशन ईसीपी के रूप में इलाज की एक ऐसी विधि आ गई है जो बिना सर्जरी के धमनियों में आ गयी रूकावट को खत्म करते हुए रक्त के संचार को चालू कर सकती है. यह ईसीपी इलाज समानान्तर संचार को पुनस्थापित कर सकता है. मजे के साथ अचरज की बात यह है कि मरीज काम पर जाने से पहले, भोजनावकाश के दौरान, ऑफिस खत्म होने के बाद या फिर रात के वक्त भी अपना इलाज करवा सकता है. ईसीपी इलाज के तहत मरीज के व्यानों, जांघों तथा नितंबों पर बड़े आकार के कफों का जोड़ा है जिनमें मशीन की क्षमता बढ़ाने के लिए आठ प्रेशर प्वाइंट होते हैं.
डा. एस.एस. सिबिया के अनुसार आज के लिए ईसीपी ह्रदय रोग से पीडित उन करोड़ों हिन्दुस्तानियों के सामने एकमात्र विकल्प है जो कि या तो आर्थिक कारणों से या सर्जरी से जुड़े हुए खतरे की वजह से या फिर मधुमेह, अस्थमा, गुर्दे की बीमारी या पक्षाघात से पीडित होने के कारण बाई पास सर्जरी नहीं करवा पा रहे हैं. निश्चित रूप से ईसीपी दिल की बीमारियों को किसी विवशता की वजह से ढो रहे मरीजों के लिए एक वरदान बन कर ही आया है. दरअसल ईसीपी के जरिए ह्रदय के अंदर छुपी हुई उन निष्क्रिय धमनियों को भी साफ किया जा सकेगा, जिसकी वजह से अब तक मरीजों की मौत होती रही है. चिकित्सा पद्धति कम खर्च पर मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार कर रही है और भारत जैसे देश में इस का सफलता पूर्वक कार्य करना निश्चित रूप से एक अच्छे भविष्य का संकेत दे सकता है.

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