भारत में, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज ने मैक्स मेड सेंटर में आज एक जागरुकता अभियान का आयोजन किया। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज की ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर मीनू वालिया ने इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लोगों को खराब व अस्वस्थ जीवनशैली के घातक परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है और भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जहां युवाओं को स्वस्थ और स्वच्छ जीवनशैली के महत्व के बारे में लगातार शिक्षित किया जा रहा है, वहीं बुजुर्ग जीवनशैली की कुछ आदतों जैसे कि धूम्रपान, शराब का सेवन, तंबाकू का सेवन आदि को आसानी से नहीं छोड़ पाते हैं, जिसके कारण वे आसानी से कैंसर का शिकार बनते हैं।
केस 1- सुमन लता सिंह रघुवंशी, उम्र 70
मरीज साल 2017 के जनवरी में 20 दिन की पोस्ट मीनोपोजल ब्लीडिंग की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंची थी। इसके अलावा वे डायबिटीज, हाई बीपी और कोरोनरी आर्टरी डिजीज की गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त थीं। जांच के बाद पता चला कि उन्हें स्टेज 4 का प्राइमेरी पेरिटोनियल कैंसर है। मरीज को तुरंत कीमोथेरेपी पर रखा गया और फिर कैंसर की सर्जरी की गई। हालांकि, बाद में उनमें एब्डोमिनल टीबी की पहचान हुई, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2018 में एटीटी पर रखा गया। इलाज के बाद वे लगातार 16 महीनों तक बिल्कुल ठीक महसूस कर रही थीं, लेकिन उसके बाद उन्हें यह कैंसर दोबारा हो गया। समस्या को देखते हुए डॉक्टरों की टीम ने मरीज को फिर से कीमोथेरेपी पर रखा, जिसके बाद अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज की ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर मीनू वालिया ने इस केस के बारे में बात करते हुए कहा कि, “पेरिटोनियल कार्सिनोमा आमतौर पर एक गंभीर और घातक कैंसर है और श्रीमती सुमन लता का केस इसका मुख्य उदाहरण है। पेरिटोनियल कैंसर बहुत जल्दी फैलता है क्योंकि यह खून के प्रवाह के जरिए पूरे शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह कैंसर इलाज के कुछ हफ्तों, महीनों या कुछ सालों के बाद फिर से उभर सकता है, क्योंकि ज्यादातर इसका निदान एडवांस चरण में होता है।”
केस 2- अशोक कुमार, उम्र 61
मरीज में 2 महीनों से हीमोप्टाइसिस के लक्षण नजर आ रहे थे। इसके अलावा मरीज को पहले धूम्रपान की लत थी और उसके दोनो घुटनों में ओस्टियोआर्थराइटिस की समस्या भी थी। अगस्त 2019 में जांच के बाद उनके बाएं फेफड़े में कार्सिनोमा की पहचान हुई। मरीज के भाई को भी फेफड़े का कैंसर हो चुका था। समस्या को देखते हुए मरीज को तुरंत कीमोथेरेपी पर रखा गया। 3 साइकिल के पूरे होने पर मरीज का शरीर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा था। वर्तमान में मरीज पूरी तरह से ठीक है।
डॉक्टर मीनू वालिया ने अशोक कुमार के केस के बारे में बात करते हुए कहा कि, “श्री अशोक कुमार का मामला दिखाता है कि घूम्रपान की लत रखने वालों का भविष्य कैसा होगा। हालांकि, धूम्रपान से होने वाले कैंसरों को धूम्रपान छोड़ने के साथ आसानी से रोका जा सकता है, लेकिन तंबाकू के सेवन के कारण भारत में हर दिन लगभग 3500 लोग कैंसर का शिकार बनते हैं। तंबाकू या धूम्रपान में पाए जाने वाले लगभग 60 केमिकल्स कार्सिनोमा के लिए जिम्मेदार होते हैं। मरीज की उम्र और कैंसर की गंभीरता के बाद हम उन्हें कीमोथेरेपी की मदद से ठीक करने में सफल हो सके। श्री अशोक कुमार, आज एक बेहतर जीवन जी रहे हैं।”
मेडिकल क्षेत्र में प्रगति और उपयुक्त थेरेपी की उपलब्धता के साथ, आज एडवांस चरण के बाद भी लगभग हर प्रकार के कैंसर का इलाज संभव हो गया है। हालांकि, कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचने के लिए सभी के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग कराना आवश्यक है.भारत में, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज ने मैक्स मेड सेंटर में आज एक जागरुकता अभियान का आयोजन किया। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज की ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर मीनू वालिया ने इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लोगों को खराब व अस्वस्थ जीवनशैली के घातक परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है और भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जहां युवाओं को स्वस्थ और स्वच्छ जीवनशैली के महत्व के बारे में लगातार शिक्षित किया जा रहा है, वहीं बुजुर्ग जीवनशैली की कुछ आदतों जैसे कि धूम्रपान, शराब का सेवन, तंबाकू का सेवन आदि को आसानी से नहीं छोड़ पाते हैं, जिसके कारण वे आसानी से कैंसर का शिकार बनते हैं।
केस 1- सुमन लता सिंह रघुवंशी, उम्र 70
मरीज साल 2017 के जनवरी में 20 दिन की पोस्ट मीनोपोजल ब्लीडिंग की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंची थी। इसके अलावा वे डायबिटीज, हाई बीपी और कोरोनरी आर्टरी डिजीज की गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त थीं। जांच के बाद पता चला कि उन्हें स्टेज 4 का प्राइमेरी पेरिटोनियल कैंसर है। मरीज को तुरंत कीमोथेरेपी पर रखा गया और फिर कैंसर की सर्जरी की गई। हालांकि, बाद में उनमें एब्डोमिनल टीबी की पहचान हुई, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2018 में एटीटी पर रखा गया। इलाज के बाद वे लगातार 16 महीनों तक बिल्कुल ठीक महसूस कर रही थीं, लेकिन उसके बाद उन्हें यह कैंसर दोबारा हो गया। समस्या को देखते हुए डॉक्टरों की टीम ने मरीज को फिर से कीमोथेरेपी पर रखा, जिसके बाद अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज की ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर मीनू वालिया ने इस केस के बारे में बात करते हुए कहा कि, “पेरिटोनियल कार्सिनोमा आमतौर पर एक गंभीर और घातक कैंसर है और श्रीमती सुमन लता का केस इसका मुख्य उदाहरण है। पेरिटोनियल कैंसर बहुत जल्दी फैलता है क्योंकि यह खून के प्रवाह के जरिए पूरे शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह कैंसर इलाज के कुछ हफ्तों, महीनों या कुछ सालों के बाद फिर से उभर सकता है, क्योंकि ज्यादातर इसका निदान एडवांस चरण में होता है।”
केस 2- अशोक कुमार, उम्र 61
मरीज में 2 महीनों से हीमोप्टाइसिस के लक्षण नजर आ रहे थे। इसके अलावा मरीज को पहले धूम्रपान की लत थी और उसके दोनो घुटनों में ओस्टियोआर्थराइटिस की समस्या भी थी। अगस्त 2019 में जांच के बाद उनके बाएं फेफड़े में कार्सिनोमा की पहचान हुई। मरीज के भाई को भी फेफड़े का कैंसर हो चुका था। समस्या को देखते हुए मरीज को तुरंत कीमोथेरेपी पर रखा गया। 3 साइकिल के पूरे होने पर मरीज का शरीर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा था। वर्तमान में मरीज पूरी तरह से ठीक है।
डॉक्टर मीनू वालिया ने अशोक कुमार के केस के बारे में बात करते हुए कहा कि, “श्री अशोक कुमार का मामला दिखाता है कि घूम्रपान की लत रखने वालों का भविष्य कैसा होगा। हालांकि, धूम्रपान से होने वाले कैंसरों को धूम्रपान छोड़ने के साथ आसानी से रोका जा सकता है, लेकिन तंबाकू के सेवन के कारण भारत में हर दिन लगभग 3500 लोग कैंसर का शिकार बनते हैं। तंबाकू या धूम्रपान में पाए जाने वाले लगभग 60 केमिकल्स कार्सिनोमा के लिए जिम्मेदार होते हैं। मरीज की उम्र और कैंसर की गंभीरता के बाद हम उन्हें कीमोथेरेपी की मदद से ठीक करने में सफल हो सके। श्री अशोक कुमार, आज एक बेहतर जीवन जी रहे हैं।”
मेडिकल क्षेत्र में प्रगति और उपयुक्त थेरेपी की उपलब्धता के साथ, आज एडवांस चरण के बाद भी लगभग हर प्रकार के कैंसर का इलाज संभव हो गया है। हालांकि, कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचने के लिए सभी के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग कराना आवश्यक है.