आगरा :- भारत के पहले लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट का उपयोग कर 67 वर्षीय हार्ट अटैक के मरीज के गंभीर ब्लॉकेज को सफलतापूर्वक खोला गया। इस लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट का प्रदर्शन फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट (एफईएचआई), नई दिल्ली के चेयरमैन, डॉक्टर अशोक सेठ और उनकी टीम द्वारा किया गया।
मरीज की धमनी 90 फीसदी बंद हो चुकी थी, जिसे सामान्य तकनीक यानी कि बैलून एंजियोप्लास्टी की मदद से खोला नहीं जा सकता था। इस ब्लॉकेज को खोलने के लिए धमनी में अनोखे शॉकवेव बैलून को प्रवेश किया गया। इस तकनीक की मदद से बहुत ही कम प्रेशर में भी ब्लॉकेज को खोलना संभव हो सका।
शॉकवेव कोरोनरी लिथोट्रिप्सी एक अनोखी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) के एडवांस चरण वाले मरीज का भी इलाज करना संभव हो पाता है, जिनकी धमनी में कैल्शियम इकठ्ठा होने के कारण हार्ड ब्लॉकेज बन जाता है। ऐसी स्थिति ज्यादातर एंजियोप्लास्टी के 20-25 फीसदी मरीजों में खासतौर पर अधिक उम्र, डायबिटीज, कोरोनरी किडनी डिजीज आदि के कारण बनती है। शॉकवेव कोरोनरी लीथोट्रिप्सी एक एडवांस तकनीक है, जो हार्ड ब्लॉकेज की समस्या के लिए इस्तेमाल की जाती है।
डॉक्टर अशोक सेठ ने बताया कि, “हमें खुशी है कि इस अनोखी और शानदार तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले हमने किया, जिसकी मदद से अब हम गंभीर एंजियोप्लास्टी वाले मरीजों का इलाज करने में सक्षम हैं।”
डॉक्टर अशोक सेठ ने आगे बताया कि, “एंजियोप्लास्टी द्वारा कैल्शियम की कड़ी परत का इलाज करना एक बड़ी चुनौती है। इस नयी तकनीक की मदद से अब ऐसे ब्लॉकेज को खोलना आसाना हो गया है, जिसके परिणाम व्यक्ति के जीवन को लंबे समय के लिए बेहतर बनाते हैं। इंट्रावस्कुलर लीथोट्रिप्सी द्वारा निकाली गई सोनिक प्रेशर वाली वेव्स कैल्शियम की कड़ी परत को निकालने वाला एक बेहद सफल और सुरक्षित इलाज है, जिसमें सर्जरी के बाद की मुश्किलें कम होती है और मरीज लंबे समय के लिए एक बेहतर जीवन का आनंद ले पाता है।”