अशोक सिंघल की याद में 5 सितंबर को दिए जाएंगे वैदिक पुरस्कार

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# परम पूज्य स्वामी तेजोमायानंद जी ( पूर्व अध्यक्ष , चिन्मया मिशन ) समारोह के सम्मानित अतिथि होंगे

# सर्वश्रेष्ठ छात्र को 3 लाख रुपये, सर्वश्रेष्ठ टीचर को 5 लाख रुपये और सर्वश्रेष्ठ स्कूल या शिक्षण संस्थान को 7 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोकजी सिंघल की याद में सिंघल फाउंडेशन की ओर से भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार का तीसरा संस्करण 5 सितंबर को नई दिल्ली के 89, लोधी एस्टेट स्थित चिन्मय मिशन में आयोजित किया जाएगा। यह पुरस्कार वैदिक शिक्षा देने वाले सर्वश्रेष्ठ विद्यालय, वेद ज्ञान में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी और वेद पढ़ाने वाले सर्वश्रेष्ठ शिक्षक को दिया जाएगा। परम पूज्य स्वामी तेजोमायानंद जी ( पूर्व अध्यक्ष , चिन्मया मिशन )समारोह के सम्मानित अतिथि होंगे। इस पुरस्कार समारोह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत में वैदिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना है और उन दिग्गज हस्तियों और विद्वानों की कोशिशों की सराहना करना है, जो वेदों के पठन-पाठन और वैदिक शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं। पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ छात्र को ₹ 3 लाख, सर्वश्रेष्ठ टीचर को ₹ 5 लाख और सर्वश्रेष्ठ स्कूल को ₹ 7 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी सलिल सिंघल ने बताया, “हिंदुत्व के प्रखर पुरोधा और विचारक होने के साथ माननीय अशोकजी सिंघल वेदों के अच्छे ज्ञाता थे। उनके लिये वेद पढ़ना और वेदों के ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना एक मिशन था। इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने वैदिक शिक्षा देने के लिए कई विद्यालय और संस्थान खोले। वैदिक ज्ञान से अशोक जी के गहरे प्रेम ने हमें यह फाउंडेशन बनाने के लिए प्रेरित किया।“

सिंघल फाउंडेशन के एक अन्य ट्रस्टी संजय सिंघल ने कहा, “इस साल भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार के तीसरे संस्करण का आयोजन 5 सितंबर को किया जाएगा। हम परमपूज्य स्वामी तेजोमायानंद जी के बहुत आभारी है कि उन्होंने इस साल के पुरस्कार समारोह में सम्मानित अतिथि बनना स्वीकार किया। माननीय अशोकजी सिंघल की याद में वैदिक पुरस्कार देने के लिए सभी वैदिक स्कूलों से प्रविष्टि मंगाई गई। वैदिक पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे।“

संजय सिंघल ने बताया कि पुरस्कार समारोह के लिए एक विशेष समिति बनाई गई है, जो हर साल 10 जून तक मिली एंट्रीज में से उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करती है। कमिटी इसके बाद एंट्रीज को सत्यापित करने के लिए शॉर्ट लिस्ट किए गए संस्थानों का दौरा करती है। इसके बाद कमिटी 3 श्रेणियों में से 3 नामों की सिफारिश करती है। इसके बाद प्रतिष्ठित जूरी, जिसमें वैदिक विशेषज्ञ शामिल हैं, हर श्रेणी से एक-एक विजेता का चुनाव करती है।

पिछले साल 81 वर्ष के श्री विनायक बादल को शतपथ ब्राह्मण की शिक्षा को पुनर्जीवित करने के लिए लाइफ टाइम पुरस्कार दिया गया। पंकज शर्मा को 2018 में सर्वश्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार दिया गया था। पंकज शर्मा ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कहा था, “मैं वेद की शिक्षा का दुनिया भर में प्रचार-प्रसार करना चाहता हूं और वेदों को उनका उचित स्थान दिलाना चाहता हूं। सिंघल फाउंडेशन की ओर से पहचान मिलने के बाद मुझे मेरी जिंदगी की सही राह मिल गई। इस आर्थिक सहायता से मैं अपने सपनों का पीछा करने में काबिल हो पाया। भारत को आध्यात्मिकता की धरती कहा जाता है क्योंकि यहां वेदों को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। इस पुरस्कार से मुझे वेदों के प्रचार-प्रसार और अधिक तन्मयता और ऊर्जा से करने की प्रेरणा मिली।“

पिछले साल महाराष्ट्र के सद्गुरु निजानंद महाराज वेद विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ वैदिक विद्यालय का पुरस्कार मिला। जूरी ने वेदों की शिक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ अध्यापक के रूप में श्रीधर आदि का चयन किया और उन्हें पांच लाख का नकद पुरस्कार दिया।

भारतात्मा पुरस्कार और सिंघल फाउंडेशन के बारे में :

सिंघल फाउंडेशन एक रजिस्टर्ड ट्रस्ट है। इसका गठन श्री पी. पी. सिंघल के तीनों पुत्रों ने अपने पिता की ओर से किए गए सामाजिक कल्याण के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया। श्री सिंघल आजीवन सामाजिक लोक कल्याणकारी कार्यों में जुटे रहे। यह ट्रस्ट श्री सिंघल के सिद्धांतों के अनुसार आम जनता के कल्याण और सामाजिक भलाई के कार्यों को जारी रखने के लिए बनाया गया है। यह ट्रस्ट जरूरतमंद स्कूली छात्रों, खिलाड़ियों, दिव्यांगों के लिए बनाए गए विशेष स्कूलों और कई अन्य सामाजिक कल्याण और विकास के कार्यों के लिए धन के रूप में आर्थिक सहायता मुहैया कराता है।

सिंघल फांउडेशन ने सालाना “भारतात्मा अशोकजी सिंघल वैदिक पुरस्कार” को गठित करने का फैसला 2017में किया। यह श्री अशोक जी सिंघल की स्मृति में वैदिक शिक्षा के लिए दिया जाने वाला पहला राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है। अशोक जी सिंघल को वेदों का शानदार और काफी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने अपनी सारी जिंदगी वेदों की शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अनथक परिश्रम किया। स्वर्गीय श्री अशोक जी सिंघल का यह पुख्ता विश्वास था कि वेदों की शिक्षा को सुरक्षित रखने और वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने से ही भारतीय संस्कृति सुरक्षित रख सकती है और फल-फूल सकती है। वैदिक शिक्षा को शिखर तक पहुंचाने के लिए अशोकजी ने तीन विश्व वेद सम्मेलन आयोजित किए, जिनमें से पहले सम्मेलन का आयोजन 1992 में किया गया था।

फांउडेशन हर साल वैदिक शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर तीन पुरस्कार प्रदान करता है

1. सर्वश्रेष्ठ वैदिक छात्र

2. सर्वश्रेष्ठ वैदिक अध्यापक

3. सर्वश्रेष्ठ वैदिक स्कूल या शिक्षा संस्थान

सिंघल फाउंडेशन का विश्वास है कि यह पुरस्कार ज्यादा से ज्यादा छात्रों, स्कूलों और अध्यापकों को वेदों की शिक्षा ग्रहण करना और समाज की भलाई के लिए वैदिक शिक्षा का उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगा।

अधिक जानकारी के लिए कृपया www.http://bharatatmapuraskar.org को विजिट करें।