21 जून 2019, आगरा – आज के समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे उन्नत किस्म की सर्जरी है। परम्परागत ओपन सर्जरी के साथ-साथ लैपरोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी के अनेक फायदे हैं। रोबोटिक यूरोलॉजी सर्जरी की प्रक्रिया तथा उसकी सफलता के बारे में जागरूकता कायम करने के उद्देष्य देश के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स सुपर स्पेषियलिटी अस्पताल, साकेत ने आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
देश में किडनी फेल्योर या क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के मामले, ऑटोइम्यून बीमारियों, मधुमेह, दवा या शराब की लत, मूत्र मात्र की समस्याओं, निर्जलीकरण और यहां तक कि हृदय संबंधी संबंधित समस्याओं आदि विभिन्न कारकों से तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में ’किडनी ट्रांसप्लांट’ एकमात्र अंतिम समाधान होता है, इसलिए किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी के विभिन्न पक्षों को समझना रोगियों और उनके परिवारों के लिए अत्यावश्यक है। जिन्हें किडनी की अत्यंत गंभीर बीमारी है उन्हें किडनी ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत होती है जिसमें किडनी का प्रत्यारोपण किया जाता है।
किडनी प्रत्यारोपण को दो भागों में बांटा जा सकता है – पारंपरिक और रोबोट-सहायक किडनी प्रत्यारोपण। हममें से अधिकांश लोग पारंपरिक सर्जरी के बारे में जानते हैं, जिसमें मूल रूप से 2-4 घंटे की लंबी सर्जरी होती है। इसमें किडनी दान देने वाले व्यक्ति की किडनी को मरीज के षरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि उसके जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। किडनी प्रत्यारोपण का सर्वाधित आधुनिक रूप रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट है जो हमारे देष में कुछ ही आधुनिक चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि रोबोटिक सर्जरी में सर्जन रोबोटिक आर्म की मदद से सर्जरी को अंजाम देते हैं। रोबोटिक सर्जरी में विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण रोबोटिक आर्म के अगले हिस्से पर लगे होते हैं। सर्जरी वाली जगह को बड़ा करके देखने के लिए उच्च परिशुद्ध कैमरा होता है। इसके अलावा इसमें बहुत ही छोटा चीरा लगता है जिसका निषान बिल्कुल नहीं या बहुत कम रहता है। इसमें रक्त की बहुत कम क्षति होती है और मरीज जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ करता है।
रोबोटिक्स की आधुनिक तकनीक न केवल रोगियों को काफी हद तक लाभ पहुंचाती है, क्योंकि रिकवरी जल्दी होती है, बहुत छोटा चीरा लगने के कारण मरीज को कम समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है तथा इसमें रक्त की हानि या तो बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है। मरीज किसी भी बड़ी सर्जरी के बाद 24 घंटे के भीतर चलने-फिरने लगता है। आज की तारीख में मैक्स हेल्थकेयर ने रोबोटिक्स का उपयोग करके 100 से ऊपर सफल किडनी प्रत्यारोपण कर चुका है तथा यूरोलॉजी के क्षेत्र में कुल मिलाकर 1000 से ऊपर रोबोटिक.सर्जरी कर चुका है।
रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, मैक्स सुपर स्पेषियलिटी अस्पताल, साकेत के रोबोटिक्स, किडनी ट्रांसप्लांट एवं यूरो-ओंकोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. प्राग्नेष देसाई ने रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण की सफलता के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘भारत में क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) का प्रकोप पिछले दशक में दोगुना हो गया है, और वर्तमान में देश में पांच लाख से अधिक व्यक्तियों को इस बीमारी का पता चला है। इनमें से केवल कुछ मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है। ऐसे में समय पर सीकेडी की रोकथाम, इसकी पहचानने और इसका समय पर इलाज महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, हमारा ध्यान मरीजों को षिक्षित और जागरूक बनाने के अलावा मरीजों को इस लायक बनाने में है ताकि वे समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त कर सकें एवं विषेशज्ञों से परामर्ष कर सकें। रोबोट किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर यह साबित हो चुका है कि इसमें कम जटिलता दर, तेजी से रिकवरी और उत्कृष्ट ग्राफ्ट फंक्शन होते हैं।’’
पिछले वर्षों में, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर्राष्ट्रीय मानकों की पेशकश करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। अग्रणी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स सुपर स्पेषियलिटी हास्पीटल वाराणसी, आगरा, चंदौसी, ग्वालियर, मेरठ, कानपुर, मुरादाबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कई स्वास्थ्य शिविर, ओपीडी और स्क्रीनिंग शिविर आयोजित करता रहा है।