डा. सतनाम सिंह छाबड़ा
डायरेक्टर
न्यूरो एंड स्पाइन डिपाटमेंट
सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली
एक समय मौत का दूत माने जाने वाले ब्रेन ट्यूूमर का उपचार आज रेडियो सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडियेशन थैरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटौक्सी एवं रोबेटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों की बदौलत अत्यंत कारगर, सुरक्षित एवं काफी हद तक कष्ट रहित हो गया है. ब्रेन ट्यूूमर की पहचान जितनी पहले हो जाए, इलाज उतना ही आसान हो जाता है. ब्रेन ट्यूूमर के लक्षण साधारणतः सीधे उस से संबंधित होते हैं जहां दिमाग के अंदर ट्यूूमर होता है. उदाहरण के लिए मस्तिष्क के पीछे ट्यूूमर के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. मस्तिष्क के बाहरी भाग में होने वाले ट्यूूमर के कारण बोलते समय रूकावट आने जैसी समस्या हो सकती है. ट्यूूमर का आकार बढने के परिणास्वरूप मस्तिष्क पर बहुत दबाव पड़ता है. इस कारण सिर दर्द, उल्टी आना, जी मचलना, दृष्टि संबंधी समस्याएं या चलने में समस्या, बोलते समय समस्या होना यदि लक्षण हो सकते हैं. कभी-कभी ट्यूूमर की वजह से सिर में पानी इक्टठा होने लगता है जिसको चिकित्सकीय भाषा में हाइड्रोसिफेलस कहते हैं. यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है. प्रायः ब्रेन ट्यूूमर का निदान करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इस में पाए जाने वाले लक्षण किसी अन्य समस्या के भी संकेत हो सकते हैं. बोलते समय अटकना, दवाइयों, नशीले पदार्थो या शराब का सेवन करने के कारण भी हो सकता है. जब यह लक्षण बहुत तीव्रता के साथ उत्पन्न होने लगते हैं तो यह ब्रेन ट्यूूमर का कारण हो सकते हैं. ब्रेन ट्यूूमर के अन्य लक्षणः
1. सिरदर्द:-
ब्रेन ट्यूूमर के शुरूआती लक्षणों में एक है सिरदर्द. इसमें अक्सर सुबह उठते ही भयानक सिरदर्द शुरू हो जाता है जो दिन में धीरे-धीरे ठीक हो जाता है. झुकने में,व्यायाम करने में सिरदर्द अधिक कष्टकारी होता है.
2. मानसिक व व्यक्तित्व बदलाव-
मरीजों के स्वभाव संबंधी व्यवहार व व्यक्तित्व में बदलाव पाया जाता है. मरीज को बोलने में तकलीफ महसूस होती है व स्मरण शक्ति भी कम हो जाती है.
3. मास इफेक्ट –
यह इंट्राक्रेनियल दबाव के बढने से होता है जिसके के लक्षण हैं-उल्टी व जी मचलाना, चक्कर आना, दृष्टि संबंधी तकलीफें, धुंधला दिखाई देना, नेत्रों संबंधी नस (पापिलेडेमा) में सूजन. यह लक्षण छोटे बच्चो में, उम्रदराज लोगों में व जिनमें धीरे-धीरे ट्यूूमर बढ़ता है आदि लोगों में पाए जाते हैं.
4. फोकल लक्षण –
इन फोकल लक्षणों जैसे साफ सुनाई न देना, कानों में कुछ बजने की आवाज सुनना, कमजोरी, बोलने व चलने में दर्द, मांसपेशियों पर घटता नियंत्रण, दोहरा दिखाई देना और घटती चेतना (सेंसेशन) आदि भी ट्यूूमर के कारण हो सकते हैं.
क्या ब्रेन ट्यूमर खतरनाक है?
सामान्यत मस्तिष्क में किसी भी चीज में वृद्धि होना बहुत खतरनाक माना जाता है और यह बात ब्रेन ट्यूूमर के मामले में भी लागू होती है. ब्रेन ट्यूूमर कई प्रकार के होते हैं, हालांकि इसे कैंसर के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्गों कैंसरजन्य और कैंसर रहित ट्यूूमर में विभाजित किया जा सकता है. बीस से चालीस साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूूमर होने की संभावना रहती है. कैंसर रहित ट्यूूमर, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है.
क्या यह आनुवांशिक है?
यहां कुछ ऐसे ब्रेन ट्यूूमर है जो आनुवांशिक होते हैं जिस प्रकार से न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस लेकिन व्यापक रूप से ऐसा नहीं है. चिकित्सा विज्ञान में ब्रेन ट्यूूमर के मुख्य कारणों का पता नहीं चल पाया है. आनुवांशिक संबंधों के विषय में दुनिया भर में शोध कार्य चल रहा है.
आधुनिक इलाज
ब्रेन ट्यूूमर के प्रकार, स्थान और आकार पर अधारित विभिन्न प्रकार के इलाज करने के तरीकों का चुनाव किया जाता है. यदि ऑपरेशन सुरक्षित है तो ऐसे में ट्यूूमर को हर संभव तरीके से दूर करने के लिए ऑपरेशन को उपचार की पहली विधि के रूप में अपनाया जाता है यह सर्जरी इंडोस्कोपिक पक्रीया से की जाती है अन्यथा स्टीरिओटेक्सी से बायोप्सी की जाती है. यदि ट्यूूमर ऑपरेशन योग्य है तो चिकित्सक इस सर्जरी के लाभ और जोखिम को निर्धारित करते हैं और सर्जरी के बाद यदि कोई ट्यूूमर बच जाता है तो उसे रेडियेशन या कीमोथैरेपी से ठीक किया जाता है. अक्सर ट्यूूमर को पोस्ट-ऑपरेटिव ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती, परंतु कई बार ट्यूूमर को पोस्ट-ऑपरेटिव की जरूरत पड़ती है.