पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर 31 मार्च 2019 को पहली मौन रैली (मौन ध्यान रैली) का आयोजन करेगी। पिरामिड पार्टी भारतीय राजनीति में एक नए युग का सूत्रपात करेगी। इस मौन रैली में तन-मन में नई ऊर्जा का संचार करने वाली संगीत की गहराइयों के बीच मेडिटेशन सेशन आयोजित किया जाएगा। रैली में पिरामिड मास्टर और देश भर से पिरामिड पार्टी के सदस्य मौजूद रहेंगे।
पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) दक्षिण भारत की विभिन्न सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करती रही है। अब पीपीओआई अपनी पहुंच बढ़ाना चाहती है, जिससे पार्टी की मौजूदगी उत्तर भारतीय राज्यों में महसूस की जा सके। पार्टी ने पहले ही 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र जारी कर दिया गया है। मौन ध्यान से पार्टी वोटरों का ध्यान अपनी पार्टी के घोषणापत्र की ओर आकर्षित करना चाहती है।
पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक ब्रह्मषि पितामह पत्री ने कहा, “पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर 31 मार्च को मौन रैली का आयोजन करेगी। हमारी पार्टी आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारेगी। हम हर विधानसभा सीट पर पीपीओआई के उम्मीदवार उतारेंगे। हमें विश्वास है कि इससे हम ऐसी लहर और हलचल पैदा करने की कोशिश करेंगे, जो मजबूत और स्वशासित राष्ट्र बनाने के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में हमें कामयाबी दिलाएगी।“
पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) के राष्ट्रीय महासचिव माधवी डी. ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पिरामिड पार्टी का गठन भारत के लोगों को साधकों, ज्ञानवान, प्रबुद्ध, शाकाहारी और शांतिप्रिय लोगों के रूप में बदलने के लिए किया गया है। चुनावी प्रक्रिया की व्यवस्था के माध्यम से हम अपने जीवनकाल में यह बदलाव कर सकते हैं। केवल प्रबुद्ध लोग ही सुशासन के लिए उचित व्यक्ति होते हैं। आइए, हम केवल प्रबुद्ध और ज्ञानवान साधकों का अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव कर उन्हें निर्वाचित करें।“
पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के उत्तर भारत के महासचिव डी.एल. एन शास्त्री ने पार्टी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम इस नए युग के महान आंदोलन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से पहले ही उत्तराखंड, गुजरात, नई दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में कई गतिविधियों का संचालन कर रही है। मौन ध्यान रैली इस दिशा में पहला कदम है।