प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयत्नों से विकलांगों को नया नाम दिव्यांग दिया है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 12 करोड़ लोग विकलांग होकर जीने को मजबूर हैं। दिव्यांगों के प्रति सरकार का घ्यान आकर्षित करने के लिए मशहूर दिव्यांग स्वयंसेवक और भारतीय दिव्यांग संस्थान के अध्यक्ष अमित कुमार ने बहुत काम किया है। वह गुरुवार, 7 मार्च को प्रेस क्लब आफ इंडिया में दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक विकलांगों के दुख, दर्द और कठिनाइयों पर प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। अमित कुमार का कहना है कि पिछली सरकारों ने विकलांगों के लिए बहुत सी योजनाएं बनाईं, लेकिन वे अधिकतर फ़ाइलों रह गई़ और धरातल पर बहुत कम उतरीं, लेकिन मोदी ने बहुत सी योजनाओं और क़ानूनों पर फिर से ध्यान तो दिया , पर ऐसा लगता है कि दिव्यांग के लिए अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है । उन्होंने कहा कि चुनाव जल्द होने वाले हैं। आँकड़ों के अनुसार विजेता दल और पराजित पार्टी में एक प्रतिशत का अंतर रहता है। दिव्यांग और उनके परिवार के 12 करोड़ लोग हर एक सीट पर निर्णायक हो सकते हैं ।
अमित ने कहा कि हमारा समाज दिव्यांगो को पहले से ही आदर नहीं देता , लेकिन दिव्यांग की समझ और एकाग्रता सामान्य से कहीं अधिक होती है। दिव्यांग की समझ और एकाग्रता सामान्य से कहीं अधिक होती है। ईश्वर जब एक इंद्रिय या अंग कम करता है तो शेष इंद्रियों या अंग की क्षमता दुगनी भी कर देता है।
अमित ने कहा कि दिव्यांगो को उनकी विकलंगता की प्रतिशत के आधार पर दिव्यांग पेंशन दी जाए, सरकारी और प्राइवेट कंपनियो में दिव्यांगो के लायक़ पद सिर्फ़ दिव्यांगो को ही दिए जाए जो पद दिव्यांगो के लिए हैं उन्हें अलग से भरा जाए। हर एक पब्लिक और प्राइवेट कमर्शियल बिल्डिंग व्हील चेयर फ़्रेंड्ली बनायी जाए। दिव्यांगो की प्राइमरी से स्नातक तक की पढ़ाई सरकारी और प्राइवेट दोनो में फ्री हो, सारी सरकारी परिवहन सुविधाए निशुल्क हो, सभी दिव्यांगो को स्वास्थ्य सेवाए निशुल्क रहे । आर्थिक आधार पर दिव्यांगो को हर माह राशन मिले, सभी राजनैतिक दल कम से कम दो विकलांगो को टिकट दे। दिव्यांगों को भीख नहीं हक़ चाहिए।