“2000 करोड़ का पेमेंट नहीं किया तो रोक देंगे रक्षा परियोजनाओं का काम”

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सशस्त्र सेनाओं के सिविल कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए अपनी सेवाएं देने और इन परियोजनाओं को अमल में लाने वाले 7500 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ, मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमईएस), बिल्डर असोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) ने एक बार फिर करोड़ों के बकाए का भुगतान न होने का मुद्दा उठाया है। ठेकेदारों का कहना है कि 1600 करोड़ की देनदारियों के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से पिछले साल दिवाली के बाद केवल 250 करोड़ का फंड रिलीज किया गया था। इससे मौजूदा समय में ठेकेदारों की केंद्र सरकार पर बकाया राशि करीब 1600 करोड़ से बढ़कर लगभग 2000 करोड़ तक पहुंच गई है।

बीएआई ने चेतावनी दी है कि अगर ठेकेदारों का पेमेंट जल्द न किया गया तो देश भर में कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इतना ही नहीं, इससे आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए रखरखाव का काम भी बंद हो जाएगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

एमईएस बीएआई पिछले तीन साल से अपने वैध बकाए का भुगतान न होने की समस्या का सामना कर रहा है। संघ के सदस्य सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित करने के लिए अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं। मौजूदा समय में एमएएस बीएआई की देश भर में 73 शाखाएं हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से सिर्फ इसी संस्थान को नागरिक परियोजनाओं के लिए निर्माण कार्य करने की मान्यता और पहचान मिली है।

एमईएस बीएआई के सदस्य सशस्त्र सेना की सभी तीन विंग, जल सेना, थल सेना और वायु सेना की मूल आधारभूत जरूरतों की पूर्ति करती है। यह इन परियोजनाओं के संचालन या रखरखाव का भी जिम्मा संभालते है। यह सिर्फ सशस्त्र सेनाओं के लिए इमारतों का ही निर्माण नहीं करती, बल्कि उनके लिए रन वे भी बनाती है।

एमईएस बीएआई के कॉन्ट्रैक्टर सशस्त्र सेनाओं की मूल आधारभूत सुविधाओं के संचालन के लिए मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज को विश्वसनीय और प्रशिक्षित कार्यबल की आपूर्ति करते हैं। एमईएस बीएआई के सदस्यों ने 29 और 30 अक्टूबर 2018 को टूल हाउन हड़ताल की थी। हालांकि यह प्रस्तावित हड़ताल माननीय रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के दिवाली के बाद फंड रिलीज करने के आश्वासन के बाद खत्म हो गई थी, लेकिन कुल मिलाकर 1600 करोड़ की देनदारियों के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से केवल 250 करोड़ का फंड रिलीज किया गया। इसके बाद आज की तारीख तक कोई फंड रिलीज नहीं किया गया है। इसलिए यह देनदारी दिनपर दिन बढ़ती जा रही है और मौजूदा समय में करीब 1600 करोड़ से बढ़कर लगभग 2000 करोड़ तक पहुंच गई है।

सशस्त्र सेनाओं के इंजीनियर इन चीफ, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री, रक्षा मंत्री और पीएमओ को इस स्थिति की जानकारी दे दी गई है, लेकिन सरकार ने आज की तारीख तक कोई राहत न देने की घोषणा की है। संघ के सदस्यों ने 3 और 4 दिसंबर 2018 को भी टूल डाउन हड़ताल की थी।

एमईएस बीएआई के अध्यक्ष श्री परवीन महाना ने कहा, “फंड की कमी के कारण हमारे कर्मचारी बाजार से उधार लेकर कर्मचारियों का पेमेंट कर रहे हैं और निर्माण से संबंधित जरूरी सामान की भी खरीदारी कर रहे हैं। नागरिक परियोजनाओं के काम को जारी रखने के लिए अधिक लागत पर बाजार से ऋण लिया जा रहा है। सरकार की ओर से अगर 2000 करोड़ की राशि जल्द ही रिलीज नही होती और ठेकेदारों का भुगतान नहीं किया जाता तो सशस्त्र सेना की सभी शाखाओं के लिए हम सभी मौजूदा निर्माण परियोजनाओं का काम समेत रखरखाव और संचालन का काम रोकने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अगर ठेकेदारों को जल्द पेमेंट न किया गया तो कंट्रक्शन साइट पर काम कर रहे कर्मचारी और इसकी वजह से सशस्त्र सेनाओं के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्टर के निर्माण का काम बुरी तरह प्रभावित होगा। स्थिति इस समय इतनी गंभीर है कि अगर ठेकेदारों को भुगतान जल्द न किया गया तो उनके लिए अपने परिवार का पालन-पोषण करना तो मुश्किल होगा ही, इसके साथ ही उनकी ओर से नियुक्त कर्मचारियों और श्रमिकों के परिवार की जिंदगी भी दांव पर लग जाएगी।“

एमईएस बीएआई का दावा है कि मौजूदा निर्माण परियोजनाओं पर काम कर रहे और सशस्त्र सेनाओं के आधारभूत ढांचे के रखरखाव और संचालन काम देख रहे कॉन्ट्रैक्टर्स की सरकार की ओर कुल बकाया राशि 2000 करोड़ से ज्यादा हो गई है और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यह राशि और बढ़ने की संभावना है।

असोसिएशन ने रक्षा मंत्रालय से कॉन्ट्रैक्टर्स के करोड़ों रुपये के बकाये भुगतान जल्द करने की मांग की है। ठेकेदारों को उस काम का भुगतान अभी तक नहीं मिला है, जो वह पिछले साल कर चुके हैं। संघ ने ठेकेदारों को तत्काल राहत दिलाने और साल दर साल उभरने वाली समस्या का समाधान करने के लिए यह भुगतान जल्द से जल्द करने की मांग सरकार से की है।