सबसे कम उम्र में 7 पर्वत शिखरों और 7 ज्वालामुखी पर्वतों को फतेह करने वाले पर्वतारोही के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज होगा नाम
पश्चिम बंगाल के पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत ने पर्वतारोहण का अपना मिशन पूरा कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है सबसे कम उम्र में 7 पर्वत शिखरों और 7 ज्वालामुखी पर्वतों पर तिरंगा लहराने वाले वह पहले भारतीय बन गए हैं उन्होंने 16 जनवरी 2019 को भारतीय मानक समय के अनुसार तड़के 6.28 मिनट पर सातवें ज्वालामुखी पर्वत माउंट सिडले को फतेह किया।
माउंट सिडले की चोटी पर पहुंचकर सत्यरूप ने तिरंगा फहराकर राष्ट्रगीत गाया और केक काटकर अपनी शानदार उपलब्धि का जश्न मनाया 7 ज्वालामुखी पर्वतों और विश्व के 7 पर्वत शिखरों परतिरंगाफहराने वाले सत्यरूप का नाम अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा सातवें ज्वालामुखी पर्वत माउंट सिडले को फतेह करने से पहले ही गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की ऑनलाइनएप्लिकेशन स्वीकार कर ली गई है।
वह विश्व के 7 पर्वतों और 7 ज्वालामुखी पर्वतों पर तिरंगा फहराने वाले पहले भारतीय हैं।
इससे पहले सातों महाद्वीपों की सात चोटियों और सात ज्वालामुखी पर्वतों को सबसे कम उम्र में फतेह करने का रेकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के पर्वतारोही डेनियल बुल के नाम पर है डेनियल बुल ने 36 साल157 दिनकी उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी| सत्यरूप ने 35 साल 9 महीने में यह उपलब्धि हासिल की है| सेवन समिट विजय के लक्ष्य के साथ सत्यरूप ने 30 नवंबर 2017 को अंटार्कटिका मेंमाउंट विन्सन मैसिफपर चढ़ाई कर अपने मिशन के लिए यात्रा शुरू की थी।
सत्यरूप अब तक जिन पर्वत शिखरों पर तिरंगा फहरा चुके हैं, उनमें अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, रूस में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्बरस, अर्जेंटीना में स्थित दक्षिण अमेरिकाकी सबसेऊंची चोटी अकाकागुआ, नेपाल में एशिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट, ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट कोज़िअस्को और अंटाकर्टिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विन्सनमैसिफ शामिल हैं।वह सात ज्वालामुखी पर्वतों की भी चढ़ाई कर चुके हैं। पर्वत शिखरों की चढ़ाई करते हुए ही माउंट किलिमंजारो और माउंट एल्बरस की चढ़ाई कर चुके हैं| वह दक्षिण अमेरिका के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वतओजोस डेल सालाडो की भी चढ़ाई पूरी कर चुके हैं| ईरान में माउंट दामावंद, उत्तरी अमेरिका के मैक्सिको में स्थित सबसे ऊंचे ज्वालामुखी माउंट पिको डे ओरिजाबा औरअंटाकर्टिका की चढ़ाई वह कर चुके हैं।
सत्यरूप ने सिक्किम में मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग बी. टेक की डिग्री ली| वह बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर 2015 से सोल्यूशंसआर्किटेक्ट के रूपमें काम कर रहे हैं| बचपन में सत्यरूप अस्थमा के कारण इनहेलर के बिना 100 मीटर चलने में भी हांफ जाते थे, लेकिन उनके मन में अपनी इस कमजोरी से पार पाने का जुनून था।सत्यरूप ने खुद कोपर्वतारोहण के लिए तैयार करने हेतु 7 साल तक कड़ी ट्रेनिंग की थी।