टोटल नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण अब यह तकनीक घुटने की आर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों, विषेशकर वैसे रोगियों के लिए वरदान बन गई है जो इसके कारण गंभीर रूप से अक्षम हो गए हैं। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, पटपड़गंज के आर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. शरद कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘‘मिनिमली इनवैसिव तकनीकों की मदद से की जाने वाली सर्जरी और इसमें षामिल प्रौद्योगिकियों की बदौलत रोगियों को जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करके उन्हें बेहतर रिकवरी करने का एक उन्नत मार्ग प्रषस्त हुआ है। हम आर्थराइटिस के रोगियों का हमेशा दवाइयों, फिजियोथेरेपी, व्यायाम और सावधानी जैसे गैर-ऑपरेटिव तरीकों से इलाज करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, उन मरीजों में जिनमें आर्थराइटिस बहुत गंभीर हो और जिनमें गैर-ऑपरेटिव तरीकों से कोई फायदा नहीं हो रहा हो, टोटल नी रिप्लेसमेंट के आॅपरेषन से काफी राहत मिलती है और वे अपनी सामान्य जिंदगी फिर से जीने लगते हैं।’’ पिछले कुछ सालों से मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, पटपड़गंज में ऐसे कई मरीजों को इलाज किया गया है, और इन मरीजों को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन प्रदान किया गया है। मैक्स हाॅस्पिटल में टोटल नी रिप्लेसमेंट कराने वाले मरीजों श्रीमती ओमवती, श्रीमती प्रेम लता और श्री वालिया ने इसकी पुश्टि की। ये मरीज़ गंभीर आर्थराइटिस के साथ घुटने में अत्यधिक दर्द और जकड़न की समस्या के कारण अक्सर अस्पताल साथ आते थे। यह सर्जरी मिनिमल इनवैसिव दृष्टिकोण के लिए अधिक उपयुक्त है जो रोगी को तेजी से रिकवरी करने और सभी गतिविधियों को फिर से तेजी से बहाल करने में मदद करती है। इस सर्जरी के बाद मरीजों को अपने नये ज्वाइंट बिल्कुल सामान्य लगते हैं क्योंकि इसमें मरीजों को घुटने की सामान्य स्थिरता के साथ लिगामेंट को भी सुरक्षित रखा जाता है। डाॅ. अग्रवाल ने कहा, ‘‘टोटल नी रिप्लेसमेंट तकनीक से रोगियों का अत्यधिक विशिष्ट और उन्नत तरीकों से सर्जरी की जाती है जिससे उन्हें अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है और लगभग नगण्य दर्द होता है। रोगी के तेजी से रिकवरी के कारण उसे अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ता है और उसे अत्यधिक संतुश्टि होती है। यह सर्जरी यह भी सुनिश्चित करती है कि रोगी को 20 साल तक नी रिप्लेसमेंट कराने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। टोटल नी रिप्लेसमेंट के बाद वे उनके घुटने का दर्द खत्म हो जाता है और उनकी जीवन शैली पूरी तरह से बदल जाती है।’’ घुटना प्रत्यारोपण के बाद सर्जरी से संबंधित जटिलताओं के मिथकों को तोड़ते हुए, यहां एकत्रित रोगियों ने बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन जीने की मिसाल पेष की। यहां मौजूद रोगियों के दोनों घुटनांे में गंभीर दर्द होता था और उन्हें चलने यहां तक कि अपने पैरों पर खड़ा होने में भी मुश्किल होती थी। लेकिन टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने के बाद, वे दर्द और किसी सहायता के बिना 5 किमी तक चलने में सक्षम हो गये हैं। मैक्स हाॅस्पिटल, पटपड़गंज में आर्थोपेडिक्स विभाग यहां आने वाले हर मरीज़ को व्यापक और असाधारण आर्थोपेडिक देखभाल प्रदान करता है। पूरी तरह से अलाइन घुटने न केवल लंबे समय तक चलते हंै बल्कि मिनिमली इंवैसिव सर्जरी तेजी से रिकवरी करने में मदद करती है। सर्जरी के बाद, मरीज 4 घंटों के अंदर ही चलना शुरू कर सकता है। टोटल नी रिप्लेसमेंट में उन्नत तकनीक, रियल टाइम 3-डी इमेजिंग प्रदान करती है और सर्जन को सटीकता के साथ कट लगाने के लिए मार्गदर्षन करती है जिससे इम्प्लांट का बेहतर और सटीक प्रत्यारोपण संभव हो पाता है। इसके अलावा, तकनीकों में वैसी गलतियां जो अनजाने में हो सकती हैं उन्हें तुरंत देखा और सही किया जा सकता है। यह नी रिप्लेसमेंट कराने वाले घुटनों से संबंधित विकृतियों वाले रोगियों के लिए एक वरदान है।

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टोटल नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण अब यह तकनीक घुटने की आर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों, विषेशकर वैसे रोगियों के लिए वरदान बन गई है जो इसके कारण गंभीर रूप से अक्षम हो गए हैं।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, पटपड़गंज के आर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. शरद कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘‘मिनिमली इनवैसिव तकनीकों की मदद से की जाने वाली सर्जरी और इसमें षामिल प्रौद्योगिकियों की बदौलत रोगियों को जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करके उन्हें बेहतर रिकवरी करने का एक उन्नत मार्ग प्रषस्त हुआ है। हम आर्थराइटिस के रोगियों का हमेशा दवाइयों, फिजियोथेरेपी, व्यायाम और सावधानी जैसे गैर-ऑपरेटिव तरीकों से इलाज करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, उन मरीजों में जिनमें आर्थराइटिस बहुत गंभीर हो और जिनमें गैर-ऑपरेटिव तरीकों से कोई फायदा नहीं हो रहा हो, टोटल नी रिप्लेसमेंट के आॅपरेषन से काफी राहत मिलती है और वे अपनी सामान्य जिंदगी फिर से जीने लगते हैं।’’

पिछले कुछ सालों से मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल, पटपड़गंज में ऐसे कई मरीजों को इलाज किया गया है, और इन मरीजों को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन प्रदान किया गया है। मैक्स हाॅस्पिटल में टोटल नी रिप्लेसमेंट कराने वाले मरीजों श्रीमती ओमवती, श्रीमती प्रेम लता और श्री वालिया ने इसकी पुश्टि की। ये मरीज़ गंभीर आर्थराइटिस के साथ घुटने में अत्यधिक दर्द और जकड़न की समस्या के कारण अक्सर अस्पताल साथ आते थे।

यह सर्जरी मिनिमल इनवैसिव दृष्टिकोण के लिए अधिक उपयुक्त है जो रोगी को तेजी से रिकवरी करने और सभी गतिविधियों को फिर से तेजी से बहाल करने में मदद करती है। इस सर्जरी के बाद मरीजों को अपने नये ज्वाइंट बिल्कुल सामान्य लगते हैं क्योंकि इसमें मरीजों को घुटने की सामान्य स्थिरता के साथ लिगामेंट को भी सुरक्षित रखा जाता है।

डाॅ. अग्रवाल ने कहा, ‘‘टोटल नी रिप्लेसमेंट तकनीक से रोगियों का अत्यधिक विशिष्ट और उन्नत तरीकों से सर्जरी की जाती है जिससे उन्हें अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है और लगभग नगण्य दर्द होता है। रोगी के तेजी से रिकवरी के कारण उसे अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ता है और उसे अत्यधिक संतुश्टि होती है। यह सर्जरी यह भी सुनिश्चित करती है कि रोगी को 20 साल तक नी रिप्लेसमेंट कराने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। टोटल नी रिप्लेसमेंट के बाद वे उनके घुटने का दर्द खत्म हो जाता है और उनकी जीवन शैली पूरी तरह से बदल जाती है।’’

घुटना प्रत्यारोपण के बाद सर्जरी से संबंधित जटिलताओं के मिथकों को तोड़ते हुए, यहां एकत्रित रोगियों ने बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन जीने की मिसाल पेष की। यहां मौजूद रोगियों के दोनों घुटनांे में गंभीर दर्द होता था और उन्हें चलने यहां तक कि अपने पैरों पर खड़ा होने में भी मुश्किल होती थी। लेकिन टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने के बाद, वे दर्द और किसी सहायता के बिना 5 किमी तक चलने में सक्षम हो गये हैं। मैक्स हाॅस्पिटल, पटपड़गंज में आर्थोपेडिक्स विभाग यहां आने वाले हर मरीज़ को व्यापक और असाधारण आर्थोपेडिक देखभाल प्रदान करता है।

पूरी तरह से अलाइन घुटने न केवल लंबे समय तक चलते हंै बल्कि मिनिमली इंवैसिव सर्जरी तेजी से रिकवरी करने में मदद करती है। सर्जरी के बाद, मरीज 4 घंटों के अंदर ही चलना शुरू कर सकता है। टोटल नी रिप्लेसमेंट में उन्नत तकनीक, रियल टाइम 3-डी इमेजिंग प्रदान करती है और सर्जन को सटीकता के साथ कट लगाने के लिए मार्गदर्षन करती है जिससे इम्प्लांट का बेहतर और सटीक प्रत्यारोपण संभव हो पाता है। इसके अलावा, तकनीकों में वैसी गलतियां जो अनजाने में हो सकती हैं उन्हें तुरंत देखा और सही किया जा सकता है। यह नी रिप्लेसमेंट कराने वाले घुटनों से संबंधित विकृतियों वाले रोगियों के लिए एक वरदान है।