अब तक दिए सरकार के तमाम आश्वासन की तरह सरकार का यह आश्वासन भी झूठा निकला, अफसरों को आत्मदाह का फैसला धमकी नजर आ रहा है। जिनके अपने पेट और बटुए भरे हुए हों, उन्हें दूसरों का दर्द और परेशानी कतई समझ में नहीं आती। क्या एयरकंडीशंड कमरों में बैठने वाले मंत्री 1,000 रुपये महीने में आज के दौर अपना घर का खर्च चला सकते हैं ? ईपीएफ पेंशनर्स रोज तिल-तिल कर मर रहे हैं। श्रम मंत्री के साथ हुई बातचीत बेनतीजा साबित हुई है ” – कमांडर अशोक राउत, ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय ईपीएस-95 पेंशनर्स के प्रतिनिधिमंडल के साथ केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने पेंशनर्स को उनकी न्यूतम पेंशन बढ़ाने और धरना स्थल पर मिलने आने का आश्वासन दिया था, लेकिन केंद्रीय मंत्री धरनास्थल पर नहीं आए। गौरतलब है कि ईपीएफ पेंशनर्स 4 दिसंबर 2018 से नई दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने आमरण अनशन कर रहे हैं। गौरतलब है कि ईपीएस पेंशनर्स को इस महंगाई के जमाने में 200 से 2500 रुपये से कम मासिक पेंशन मिल रही है, जबकि सरकारी कर्मचारियों की आज की तारीख में तनख्वाह1.50 से 2 लाख के करीब पहुंच चुकी है। उधर धरनास्थल पर बैठे 60 से 80 साल के कुछ बुजुर्ग ईपीएस पेंशनरों की हालत बिगड़ चुकी है। ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने कहा कि यह इस सरकार की घोर असंवेदनशीलता है, जिसके कारण उसे बुजुर्ग पेंशनर्स का दर्द समझ में नहीं आ रहा है। यह सच है कि जिनके अपने पेट और बटुए भरे हुए हों, उन्हें दूसरों के दर्द का अंदाजा नहीं हो सकता। अगर बुजुर्ग पेंशनर्स ने धरना स्थल पर दम तोड़ दिया तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगें न मानी तो हम 7 दिसंबर को भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने पर सामूहिक आत्मदाह के अपने फैसले पर कायम है। धरने पर बैठे बुजुर्ग पेंशनर महेश नागर ने कहा , ” अब हम भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने पर मौत को गले लगाएंगे और हिंदुस्तान के माथे पर दाग छोड़ जाएंगे। ”
ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने बीजेपी सांसद भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में कमिटी बनाई थी। राज्यसभा को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने वर्तमान पेंशन को अमानवीय बताते हुए पेंशनर्स को कम से कम 7500 रुपये व 5000 रुपए महंगाई भत्ता दिए जाने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद अब तक कमिटी की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। केंद्र के पास पेंशनर्स से जमा किए गए फंड के तहत 2 लाख करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं, जिस पर सरकार ब्याज कमा रही है, लेकिन हकदारों को उनका हक नहीं मिल रहा है।
धरने में शामिल महाराष्ट्र से आई 72 साल की बुजुर्ग महिला कमला बाई पवार ने बताया कि , ” हम 4 दिसंबर से कड़कती सर्दी में अपने हक के लिए धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार न जाने क्यों हम लोगों को मारने पर आमादा है। धरने पर बैठे 60 से 80 साल के कुछ बुजुर्ग पेंशनर्स की हालत बिगड़ चुकी है, लेकिन दूसरी ओर सरकारी अफसर हमारे 7 दिसंबर को अपनी बरसों से चली आ रही मांगों के समर्थन में आत्मदाह करने के फैसले को धमकी बता रहे हैं। अगर 7 दिसंबर तक हमारी मांगें सरकार ने नहीं मानी तो हम सामूहिक आत्मदाह कर अपना जीवन खत्म कर देगॆ। ” कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से इस योजना के तहत अभी तक न्यूनतम1,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जाती है लेकिन पेंशनभोगी न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग कर रहे हैं। आज कोई अगर 1000 रुपये में अपना महीना गुजार कर दिखाए तो हम अपना धरना खत्म कर देंगे और सामूहिक आत्मदाह के फैसले को स्थगित कर देंगे।
अखिल भारतीय ईपीएस-95 पेंशनर्स को बैनर तले धरने पर बैठी अहमद नगर की आशा बाई शिंदे ने बताया कि सरकार से पेंशनर्स कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं, बल्कि अपना हक मांग रहे हैं। हम बरसों से अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी सरकार के मंत्री हमें यह बताएं कि क्या वह एक हजार रुपये में अपने महीने का खर्च चला सकते हैं।
राउत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ईपीएस-95 पेंशनर्स को उच्च पेंशन की सुविधा दी जाए। कम से कम 7500 रुपये और महंगाई भत्ता महीने मासिक पेंशन दी जाए, अंतरिम राहत के रूप में 5000 रुपये महंगाई भत्ते की मांग की गई है। ईपीएस-95 के सदस्यों और उनकी पत्नी को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो। ईपीएस कर्मचारियों को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर ,7500 की जाए। पेंशन को डीए से जोड़ा जाए।