लेखिका पारो आनंद से बातचीत

विशाल हृदय वाली निडर लेखिका के रूप में प्रसिद्ध, पारो आनंद, बच्चों और युवाओं के लिए लिखने वाले भारत के शीर्ष लेखकों में से एक हैं। वह कठिन परिस्थितियों में जी रहे युवा लोगों के साथ व्‍यापक रूप से काम करती हैं और उनके बारे में लिखती हैं। वह रचनात्मक और सृजनात्‍मक आउटलेट के रूप में साहित्य का उपयोग करने वाला कार्यक्रम ‘लिटरेचर इन एक्शन’ चलाती है । अब तक वे 3 लाख से अधिक बच्चों के साथ बातचीत कर चुकी हैं।

उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम और द रशियन सेंटर फॉर साइंस एंड कल्चर द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 2017 में, उनकी पुस्तक ‘वाइल्ड चाइल्ड’ के लिए, जिसे ‘लाइक स्मोक’ के नाम से प्रकाशित किया गया, उन्हें साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार मिला है। ‘विंगलेस’ का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया जा चुका है।

आनंद, भारत में बाल साहित्य की सर्वोच्च संस्था, नेशनल सेंटर फॉर चिल्ड्रेन लिटरेचर की प्रमुख रह चुकी हैं। दुनिया का सबसे लंबा अखबार बनाने में 3000 से अधिक बच्चों की मदद करने का उनका विश्व रिकॉर्ड है। एक प्रसिद्ध किस्‍सागो और रिसोर्स पर्सन के रूप में, उन्होंने भारत में और ज़ुलु, एस्किमो और स्विस किस्‍सागो साथ विदेशों में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम दिये हैं।

30 से अधिक वर्षों से पारो आनंद बच्चों और युवाओं के लिए लिख रही हैं और अब तक उनकी 26 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, चित्रात्‍मक पुस्तकें, शिक्षक के लिए मार्गदर्शिका और हाल ही में प्रकाशित, एक ग्राफिक उपन्यास शामिल हैं।

1. आप 30 वर्षों से लिख रही हैं, आपको प्रेरणा किससे मिलती है?
ईमानदारी से कहूं, तो मैं इससे प्यार करती हूँ। मैं लिखती हूं क्योंकि इससे मुझे ताकत मिलती है, यह मेरा ध्‍यान केंद्रित करता है और उन सभी अच्छे कामों को करता है जो एक पसंदीदा गतिविधि आपके लिए कर सकती है। यह मेरी जीवन शक्ति है और अगर मैंने कुछ दिनों तक नहीं लिखती हूं तो मैं इसे बहुत मिस करती हूं। यही कारण है कि मैं दिन में कम से कम 2 घंटे लिखने की कोशिश करती हूं और लिखती हूं।

2. अपने कार्यक्रम “लिटरेचर इन एक्‍शन” के बारे में कुछ और बतायें?

मैं कुछ वर्षों से विशेषाधिकार प्राप्‍त सुख-सुविधाओं के बीच रह रही थी, लेकिन जब मैंने स्कूलों में युवा लोगों के साथ बातचीत की, तो मैंने महसूस किया कि वे मेरी किताबों या बच्चों के लिए लिखी गई किसी भी अन्य भारतीय पुस्तक के बारे में नहीं जानते थे या जानना नहीं चाहते थे। उनकी सोच थी कि भारतीय पुस्तकें उबाऊ होती हैं। इसलिए मैंने उनसे जुड़े मुद्दों के बारे में लिखना शुरू किया। मुझे अपने देश के कम विशेषाधिकार प्राप्त युवाओं के साथ काम करने का अवसर मिला और जिसने मुझे मेरे लेखन की तरफ मोड़ दिया और उसे समृद्ध किया, जिससे, मैं मानती हूं कि, मेरे अंदर के आज के लेखक को परिपक्व बनाने में मदद मिली है।

3. हमें अपनी नवीनतम रिलीज़ और उसके पीछे की प्रेरणा के बारे में बतायें, और यह भी बतायें कि आपको इसे लिखने में कितना समय लगा, इसमें किस तरह का शोध हुआ।

मेरा नवीनतम प्रकाशन कहानियों का एक संग्रह ‘द अदर’ (टाइगर द्वारा प्रकाशित) है। यह उन युवाओं के बारे में है, जिनके साथ उस समाज द्वारा ‘दूसरों की तरह व्‍यवहार किया गया’, जिसमें वे रहते हैं। मैंने सबसे अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में भी व्‍यवहार और कामकाजी प्रक्रिया में बहुत ही भेदभाव और पक्षपात होते देखा है। हर बच्चा इसके बिना पैदा होता है, और हम अपने बच्चों को नफरत करना सिखाते हैं जिसे मैं ‘सुनी-सुनाई घृणा’ कहती हूं। पुस्तक उन मुद्दों को छूती है जिनको चाहे हम पहचानें या न पहचाने, युवा पहले से ही अपनी बातचीत में शामिल कर चुके हैं। कहानी के विषय बॉडी इमेज, धौंस जमाना, यौन उत्पीड़न, जेंडर आदि हैं। कहानियां चोट करती हैं, लेकिन हमेशा एक उम्‍मीद के साथ खत्‍म होती हैं।

4. आने वाली कोई नई किताबें और कार्यक्रम?

मैं 3 नई किताबों पर काम कर रही हूं और कई और के बारे में सोच रही हूं।

• नोमाड्स लैंड – युवा वयस्कों के विस्थापन पर एक उपन्यास, जो स्‍पीकिंग टाइगर से प्रकाशित हो रहा है।
• ए वेरी नॉटी ड्रैगन, जिसे मैं स्कॉलास्टिक के लिए 9 वर्षीय सारा रोज के साथ मिलकर लिख रही हूं। यह श्रृंखला में दूसरी है।
• ए डे विथ गांधी – गांधी के मूल्यों के साथ समकालीन किशोरों की बातचीत पर आधारित उपन्यास। इसे हार्पर कॉलिन्स प्रकाशित कर रहा है।